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भगवान शिव ने देवी पार्वती से कहा - “श्रवण, मनन और चिंतन यही उपासना का श्रेष्ठ मार्ग है |” >> शिवमहापुराण मे कहा है की शिव संहिता का वाचन या श्रवण समान महाफल देनेवाला है | >> आज के दौर में हमे और हमारी नई पीढी को हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को फिर से उजागर करने के लिए श्रवण ही सुलभ और सर्वोत्तम साधन है | >> शिव संहिता साक्षात शिव का वाङ्मय स्वरूप है | भगवान शिव परमात्मा के निर्गुण और सगुण रूप के तत्त्वज्ञान को प्राप्त करने के लिए शिव संहिता का नित्य श्रवण मनन और चिंतन करना आवश्यक है | इसे सुनने से साक्षात शिव का दर्शन (तत्त्वज्ञान) होता है | >> पूर्ण श्रद्धा से और प्रेम पूर्वक इन शिव संहिताओ का वाचन या श्रवण करने से प्रत्येक व्यक्ती को जीवन जीने के लिए उचित और आवश्यक मार्गदर्शन मिलता है | इसके वाचन या श्रवण के फलस्वरूप व्याधी से मुक्ती, कर्जमुक्ती, संतानप्राप्ती, अर्थप्राप्ती, इत्यादि सभी मनोरथ पूर्ण होते है | सभी सांसारिक चिंता और क्लेश से मुक्ती और शांती मिलती है और अंतिमतः मोक्ष और शिवपद की प्राप्ती होती है | >> चार धाम यात्रा में अथवा तीर्थ यात्रा में मन उपासना के अनुकूल होता है | यात्रा के समय जब आप विभिन्न तीर्थो को भेट दे रहे होते है, दर्शन कर रहे होते है, इस प्रवास में अगर शिव संहिताओ को सुना जाए तो यह महान फलदायक और भगवान शिव का साक्षात दर्शन (तत्त्वज्ञान) करानेवाला है | >> 60 घंटो की इस श्रवण मालिका में शिव दर्शन की 7 संहिता 15 खंड और 462 अध्याय है | >> इसे विशिष्ट निश्चित क्रम से सुनना ही श्रवण महाव्रत है | इसे थोडा थोडा प्रति दिन, प्रति सोमवार, सोलह सोमवार, प्रति शिवरात्री, तथा चातुर्मास के महीनों में व्रतबद्ध होकर संकल्पपूर्वक और श्रद्धायुक्त मन से सुने | अपने परिवार, पडोसी और प्रिय परिजन इन सभी को प्रेमपूर्वक सुनने के लिए आमंत्रित करे | ॐ नम: शिवाय ! >> To get lifetime access to this series please select the JOIN button below. To get 15% Discount on One Time Purchase please use code : SHIVA15 at the checkout page. To place your order please select Manual Payment option at the checkout and input your email. >> सदा श्रवण मनन ! शुभं भवतु !
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